Acharya Mahashraman Ji is a prominent Jain Spiritual Leader, who has played a significant role in revitalizing and propagating Jain principles and teachings in the modern world.
He has traveled extensively throughout India and other countries delivering discourses and conducting meditation camps to spread the message of non- violence, compassion and ethical living.
After his Mumbai Chaturmasa Stay, Acharya Mahashraman Ji has started his Spiritual Travel Journey forward and has been travelling within Mumbai giving spiritual sustenance to the Terapanthi sect in Mumbai.
During his Mumbai – Ghatkopar “Pravas”, Acharya Mahashraman Ji was earnestly invited by Brahma Kumaris Yog Bhavan, to which he pleasingly agreed. Here, he was greeted by
Rajyogini Brahmakumari Dr. Nalini Didi Ji – Director of Brahma Kumaris Ghatkopar Subzone and Rajyogi Brahma Kumar Nikunj – Popular Columnist and National Coordinator of Media Wing of Brahma Kumaris,
amidst the Brahmin Family of Yog Bhavan. They indulged into deep conversations regarding Non – Violence, De-addiction and modern day topics like Digital De-Toxification. Acharya Ji was indeed impressed by
the services of Brahma Kumaris Yog Bhavan.
Further Rajyogi Brahmakumar Nikunj was invited at the “Samavasarana” of Acharya Mahashraman Ji to share his thoughts and he addressed a gathering of over 3500 people. In his speech Rajyogi BK Nikunj elaborated
the real meaning of “Jain”: JA –IN (Go on an Inward Journey); He praised the Anuvrat movement (Taking Small Vows), so as to achieve Mahavrat. He urged everyone to remain Trustee in their Daily Lives and Businesses,
to be Soul Conscious and not Body or Duty Conscious and lastly gave them 3 small vows to ‘speak less, speak softly and speak sweetly’ with everyone they interact.
The audiences at the Samavasarana were feeling all gratified with the Pearls of Knowledge and Lessons of Life from the Two Saint Figures – Acharya Mahashraman Ji and Rajyogi Brahmakumar Nikunj Ji.
आचार्य महाश्रमण जी एक प्रमुख जैन आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने आधुनिक दुनिया में जैन सिद्धांतों और शिक्षाओं को पुनर्जीवित करने और प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अहिंसा, करुणा और नैतिक जीवन का
संदेश फैलाने के लिए प्रवचन देने और ध्यान शिविर आयोजित करने के लिए पूरे भारत और अन्य देशों में बड़े पैमाने पर भ्रमण किया है। अपने मुंबई चातुर्मास के बाद, आचार्य महाश्रमण जी ने अपनी अध्यात्मिक यात्रा पुन: शुरू की है
और वे मुंबई में तेरापंथी संप्रदाय को आध्यात्मिक प्रेरणाएं देते हुए मुंबई नगरी के भीतर यात्रा कर रहे हैं।
अपने मुंबई — घाटकोपर “प्रवास” के दौरान, आचार्य महाश्रमण जी को ब्रह्माकुमारीज योग भवन में आमंत्रित किया गया, और वे सहृदय अपने अनुयायियों के साथ वहां पहुंचे, जहाँ राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी डॉ. नलिनी दीदी जी –
ब्रह्माकुमारीज घाटकोपर सबज़ोन की निर्देशिका एवं राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज- लोकप्रिय स्तंभकार और ब्रह्माकुमारीज़ के मीडिया विंग के राष्ट्रीय समन्वयक, तथा योग भवन के ब्राह्मण परिवार ने उनका स्वागत किया |
उन्होंने अहिंसा, नशामुक्ति और डिजिटल डीटॉक्सिफिकेशन जैसे आधुनिक समय के विषयों के बारे में गहरी बातचीत की। आचार्य जी ब्रह्मा कुमारिज़ योग भवन की सेवाओं से काफी प्रभावित हुए।
राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज को आचार्य महाश्रमण जी के समवसरण में निमंत्रण प्राप्त हुआ जहां पर अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने ३५०० से भी अधिक लोगों की सभा को संबोधित किया | अपने भाषण में राजयोगी बी.के निकुंज ने “जैन (JA-IN)” : जा -इन (आतंरिक यात्रा) धर्म का वास्तविक अर्थ विस्तार से बताया; उन्होंने अणुव्रत आंदोलन की प्रशंसा की, क्यों की छोटे – छोटे व्रत अपनाने से ही महाव्रत को प्राप्त किया जा सकता है । उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपने दैनिक जीवन और व्यवसाय में ट्रस्टी बनकर रहें, आत्मा के प्रति सचेत रहें न कि शरीर या कर्तव्य के प्रति और अंत में ‘कम बोलो, धीरे बोलो और मीठा बोलो ‘ का सभी से व्रत कराया |
समवसरण में उपस्थित सभी भाविक दो संत विभूति — आचार्य महाश्रमण जी और राजयोगी ब्रह्माकुमार निकुंज जी द्वारा प्राप्त अनमोल शिक्षाओं को प्राप्त करके भरपूर महसूस कर रहे थे।
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